लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी
भाग 5
सपना की मम्मी बहुत देर से चुपचाप खड़ी खड़ी सोच रही थी । उन्होंने शिव से पूछा
"यहां कहां रह रहे हो बेटा" ?
शिव इंजीनियर होने के साथ साथ एक अच्छा कलाकार भी था । कॉलेज में उसने कई नाटकों में शानदार अभिनय किया था इसलिए दार्शनिक की मुद्रा बनाकर बोला
"साधु संतों का भी कोई ठिकाना होता है क्या माई" ?
सपना शिव की यह अदा देखकर मन ही मन मुस्कुराई और सोचने लगी कि शिव में कितनी खूबियां हैं ? हर रोज कुछ न कुछ खूबी पता चलती है उसकी । उसे अपनी पसंद पर नाज होने लगा ।
सपना की मम्मी शिव के जवाब से चिन्तित हो गईं और कहने लगी "ऐसे कैसे बेटा ? कितनी ठंड पड़ रही है आजकल ? इस कड़कड़ाती ठंड में थुम कहां रहोगे ? कोई जुगाड़ है क्या" ?
उसी दार्शनिक मुद्रा में शिव ने कहा "ईश्वर ने जुगाड़ कर रखा है माई । बिछौना धरती है और रजाई आसमान है । फिर किसी और जुगाड़ की जरूरत ही क्या है" ?
शिव के जवाब से सपना की मां गीता स्तब्ध रह गई और बोली "ऐसी भयंकर सर्दी में खुले में कहां सोओगे बेटा ? सुबह तक तो तुम्हारी कुल्फी जम जायेगी" ?
"हम जैसे फक्कड़ों को कौन अपने घर में सोने को कहेगा, माई" ? शिव ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया ।
गीता देवी सोच में पड़ गई । एक जवान बेटी घर में है ऐसे में किसी अजनबी को घर में ठहराना क्या सही रहेगा ? उन्होंने अपनी शंका शिव के समक्ष रख दी
"इस घर में ठहर जाते बेटा पर इस घर में केवल हम दोनों मां बेटी ही रहते हैं" उनके स्वर में सकुचाहट थी ।
सपना को हस्तक्षेप करने का मौका मिल गया था । वह बोल पड़ी "आजकल बेटी और बेटे में कोई अंतर नहीं है । यदि बेटा होता तो इन्हें घर में ठहरा लेतीं तो बेटी होने पर ठहराने में क्या ऐतराज है" ?
यह सुनकर गीता देवी चुप हो गईं । कुछ कहते नहीं बना । इससे सपना को और बल मिल गया "ऐसी सर्दी में कहां रात गुजारेंगे आप ? यहीं ठहर जाइए । आपका सामान कहां है" ? सपना ने अधिकार पूर्वक कहा
शिव और सपना की आंखें मिली और शिव ने कहा "बस अड्डे पर पड़ा हुआ है । कहो तो ले आऊं" ?
"हां हां ले आओ । वो ऊपर वाला कमरा आपका होगा"
शिव ने देखा कि ऊपर एक कमरा बना हुआ है और बाकी खुली छत है । उसे मन मांगी मुराद मिल गई थी । उसने जल्दी से उस कमरे में जाकर भीख मांगने वाला कटोरा वहां रख दिया । अब उस कमरे पर उसका कब्जा हो गया था । ऐसा करना इसलिए जरूरी था कि कहीं ऐसा ना हो कि गीता जी का मन बदल जाये । इसलिए झगड़ा झूठा और कब्जा सच्चा । यह उसकी दूसरी विजय थी । उसके होठों पर मुस्कान बिखर गई ।
शिव गेस्टहाउस जाकर अपना सामान ले आया । उसने कपड़े भी बदल लिये थे । अब वह भिखारी नहीं एक तपस्वी की तरह लग रहा था । उसके चेहरे पे तेज सूरज सा चमक रहा था और वह गेरुआ कुर्ते में जंच भी रहा था । धोती भी बहुत करीने से बांधी हुई थी उसने । कुल मिलाकर उसकी पोशाक से वह एक नौजवान तपस्वी लग रहा था । उसके इस बदले हुए रूप को देखकर सपना दंग रह गई थी ।
मैं तेरे इश्क में क्या क्या न बना प्यारी
कभी बना साधू कभी भिखारी ।।
शिव की मुस्कुराने की बड़ी प्यारी आदत थी । इसे देखकर ही तो सपना रीझ गई थी उस पर । सपना ने उसे अब तक केवल फोटो और वीडियोज में ही देखा था , आज प्रत्यक्ष रूप से दर्शन हुए थे शिव के उसे । उसका दिल कर रहा था कि जाकर अपने "प्यार" से लिपट जाये मगर मम्मी के सामने ऐसा नहीं कर सकती थी वह । इसलिए वह मन मसोस कर रह गई मगर एक फ्लाइंग किस देने से नहीं चूकी थी वह । शिव ने उसे लपक लिया ।
शिव ने अपना सामान अपने कमरे में डाल दिया और बिस्तर पर लेट गया । उसे जल्दी ही नींद आ गई । पायल की झंकार सुनकर उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि उसके कमरे में सपना खड़ी है । वह चौंक कर उठ बैठा और फुसफुसा कर बोला "मम्मी देख लेंगी तो" ?
उसके चेहरे पर भय देखकर सपना खिलखिला कर हंस पड़ी "बड़े डरपोक हैं आप तो" ?
शिव से यह ताना सहन नहीं हुआ इसलिए उसने पलटकर कहा "डरपोक हैं तभी तो अपनी माशूका के घर में उसकी मम्मी के साथ रहने का जुगाड़ कर लिया"
शिव के इस जवाब से सपना को अपनी गलती का अहसास हुआ "सॉरी सॉरी सॉरी । माफ कर दो ना" वह दोनों कान पकड़ कर बोली
"अच्छा अच्छा, ठीक है । माफ कर देंगे पर एक बार दोनों कान पकड़ कर म्याऊं बोलना पड़ेगा" ? अब शिव की आंखों से प्रेम का झरना गिर रहा था । सपना तो शिव पर जान छिड़कती थी , ये म्याऊं बोलने में क्या हर्ज है ? उसने अपने दोनों कान पकड़े और जोर से "म्याऊं" की आवाज निकाली । शिव उसकी इस अदा पर निहाल हो गया और उसने सपना को बांहों में भर लिया । शिव की बांहों में आकर सपना सुध बुध खो बैठी । उसके मुंह से खुद ब खुद बोल फूट पड़े
बांहों में तेरी मस्ती के घेरे
सांसों में तेरी खुशबू के डेरे
थोड़ी देर के लिए वे दोनों खुद को भूलकर एक दूसरे की बांहों में लिपटे रहे । फिर शिव को याद आया कि दरवाजा खुला पड़ा है । मम्मी आ जायेंगी तो सारा भाण्डा फूट जायेगा । उसने सपना से कहा "मम्मी कहां हैं" ?
"सत्संग में गई हैं"
"कब तक लौटेंगी" ?
"पता नहीं"
अरे , ऐसे कैसे पता नहीं ? चलो हटो , मम्मी आ गईं तो" ? शिव ने उसे परे करते हुए कहा
"थोड़ा और चिपकने दो ना" । सपना उसकी मिन्नतें करते हुए बोली
"तुम्हें जरा भी डर नहीं लगता है कि हमारी चोरी पकड़ी जा सकती है" ? शिव ने पूछा
"अब आप जो आ गये हैं तो मुझे डर क्यों लगेगा ? तुम संभाल लोगे ना" ।
"चलो नीचे अपने कमरे में जाओ" शिव ने आदेश दे दिया ।
"बड़े निष्ठुर हैं आप । प्रेमी तो अपनी प्रेमिका को जाने नहीं देते मगर आप हैं कि उसे भगा रहे हैं ! पत्थर कहीं के" ?
और सपना शिव को मन ही मन गाली देते हुए चली गई । थोड़ी देर में ही गीता देवी घर में आ गईं । तब सपना को शिव की बातें ध्यान मे आईं "शिव कहता तो ठीक ही है ।
रात को सपना ने शिव की पसंद का खाना बनाया और उसे प्रेम से मनुहार कर कर के खिलाया । शिव की आत्मा प्रसन्न हो गई । उसकी तपस्या का फल उसे मिलने लगा था ।
गीता देवी और सपना दोनों एक ही पलंग पर सोती थीं रोजाना । आज सपना ने अलग कमरे में सोने के लिए कह दिया । गीता देवी को सपना के दिल का हाल ज्ञात नहीं था इसलिए वह मान गई । सपना मम्मी के सोने का इंतजार करने लगी । जब गीता देवी सो गई तब सपना शिव के कमरे में चली गई और शिव से लिपट कर चुंबनों की झड़ी लगा दी ।
"पर मोहतरमा 'किस डे' तो अभी परसों है" शिव के अधरों पर कुटिल मुस्कान तैर रही थी
"अच्छा जी, बड़े तपस्वी बन रहे हैं आप तो ? आपको थोड़ी चाहिए ये किस विस" ? गजब का ताना कसा था शिव ने ।
"सही है ना । हम तो स्टेप बाई स्टेप चलेंगे । पहले प्रपोज करेंगे फिर किस । क्यों सही है ना" ? शिव उसे चिढाता हुआ बोला
"अच्छा जी, तो ये बात है । पर हम भी आपको खिलाड़ी तभी मानेंगे जब आप हमें मम्मी के सामने प्रपोज करें । ये हमारा चैलेंज है" । सपना भी कोई कम नहीं थी
"अच्छा जी, ये चैलेंज हमें मंजूर है । मगर जीतने पर क्या दोगी" ?
"जो आप चाहें"
"सच में दोगी" शिव की आंखों में शरारत थी जिसे सपना भांप गई
"ना जी ना । "वो" अभी नहीं । अभी तो चूमा चाटी तक ही इजाजत है" सपना ने झुकी निगाहों से कहा
"तो हम कौन सा स्वर्ग मांग रहे हैं मोहतरमा । हमें तो जन्नत के दर्शन ही करा देना बस, और कुछ नहीं चाहिए हमें" शिव हंसते हुए बोला
"वो भी नहीं । जितना कहा है बस उतना ही मिलेगा, समझे" सपना की आंखें उसे बरज रही थी
"जैसी आपकी मरजी । हम तो निवेदन ही कर सकते हैं । इससे पहले कि और बात बढती सपना नीचे भाग गई ।
दूसरे दिन प्रपोज डे था । शिव ने पूरी योजना बना ली थी । मम्मी के सामने सपना को प्रपोज करना था उसे । लंच के लिए वह नीचे आया तो सपना खाना बना रही थी और गीता देवी वहीं पर बैठी थी । शिव गीता देवी के चरण स्पर्श कर बैठ गया ।
"आपको पता है क्या माई कि आजकल छोरे छोरियां 'वैलेंटाइन वीक' मनाते हैं" शिव ने अपनी योजना के अनुसार कहा
"क्या मनाते हैं" ?
"वैलेंटाइन वीक"
"ये क्या होता है बेटा" ?
"इसमें एक जवान लड़का एक जवान लड़की से अपने प्रेम का इजहार करता है । ये प्रक्रिया सात दिनों की है इसलिए इसे वैलेंटाइन वीक कहते हैं । इसकी शुरूआत रोज डे से होती है । लड़का लड़की दोनों एक दूसरे को रोज देते हैं । अगले दिन आता है प्रपोज डे"
"इसमें लड़का लड़की को प्रपोज करता है" ?
"क्या करता है" ?
"प्रपोज"
"ये क्या होता है और कैसे होता है" ?
"ठहरो माई, अभी समझाता हूं" शिव की बांछें खिल गई ।
उसने सपना को अपने पास बुलवाया और गीता देवी को देखकर कहा "ये मान लो कि मैं एक लड़का हूं और सपना जी एक लड़की हैं । तो लड़का इस तरह प्रपोज करता है"
शिव ने सपना के समक्ष जाकर घुटने के बल बैठकर कहा "I love you . Do you love me" ?
सपना ने भी मौके का फायदा उठाकर कह दिया I love you too" .
अपनी बात समाप्त करते हुए शिव ने गीता देवी से कहा "इस तरह मनाते हैं प्रपोज डे" ।
सपना की आंखों में शिव के लिए प्रशंसा के भाव थे । उसे हारने का कोई दुख नहीं था । शिव की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था ।
क्रमश:
श्री हरि
8.2.23
Gunjan Kamal
09-Feb-2023 07:01 PM
👌👌👌
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
10-Feb-2023 06:14 PM
💐💐🙏🙏
Reply
डॉ. रामबली मिश्र
09-Feb-2023 08:35 AM
शानदार
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Hari Shanker Goyal "Hari"
09-Feb-2023 04:52 PM
धन्यवाद जी
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